Wednesday 15 February 2012

पुष्प की अभिलाषा

पुष्प की अभिलाषा
पंडित माखन लाल चतुर्वेदी 
Pandit Makhanlal Chaturvedi


...मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर तुम देना फेंक
मातृभूमि पर शीश चढा़ने
जिस पथ जाऐं वीर अनेक

 उमेश चतुर्वेदी के स्वर में

2 comments:

वाह वाह वाह !!
क्या टिप्पणियाँ प्रकट की हैं .. दिल खुश कर दिया :)
परन्तु देवी जी समझ में कुछ भी नहीं आया हमारे :p

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