पुष्प की अभिलाषा
पंडित माखन लाल चतुर्वेदी
पंडित माखन लाल चतुर्वेदी
...मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर तुम देना फेंक मातृभूमि पर शीश चढा़ने जिस पथ जाऐं वीर अनेक उमेश चतुर्वेदी के स्वर में |
Its Like Thinking About Feelings..
...मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर तुम देना फेंक मातृभूमि पर शीश चढा़ने जिस पथ जाऐं वीर अनेक उमेश चतुर्वेदी के स्वर में |
2 comments:
वाह वाह वाह !!
क्या टिप्पणियाँ प्रकट की हैं .. दिल खुश कर दिया :)
परन्तु देवी जी समझ में कुछ भी नहीं आया हमारे :p
mind blowing lines
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